रोहित सिंह काव्य
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किसी की चुडीयो की कनक तो पायल की छनक छोड़े जा रहा हूं मैं ,किसी के हाथों में राखी लिए उसके आंखो में इंतजार छोड़े जा रहा हूं मै किसी की बुडी आंखों में गर्व है मेरे प्रति पर दिल में एक कसक रह जाती है जिस समय बनना था सहारा उनका उन्हें बेसहारा छोड़े जा रहा हूं मैं ,ए मा मुझे माफ करना इस धरती मां का कर्ज चुकाने तेरी सूनी गोद छोड़े जा रहा हूं मै।
जय हिंद
—-रोहित सिंह–
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