रोहित सिंह काव्य
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परिवार को मेहनत से चलाते देखा है,आये कितनी भी परेशानिया हमेशा हस कर लडते देखा है,हार कर कभी बैठ जाया करता हुँ मै सर पर हाथ फेरकर हौसला देते देखा है,हमारी हसरतो को पुरी करने के लिए अपनी हसरतो का हमेशा त्याग करते है,कोई और नही जिसे हम पिता कहते है|
====रोहित सिंह =====
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