रोहित सिंह काव्य
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हम हसते हैं तो लोग समझते हैं कि हमें कोई गम नहीं
गम तो हमें भी है पर हमारी आदत है कि हम किसी से कहते नहीं,
हम क्या कहें किसी से अपने गम लोग हैं कि समझेंगे ही नहीं,
इसी मुस्कुराहट के साथ हमने जीना सीख लिया,
क्योंकि गम के साथ जीना हमारी फितरत में नहीं|
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