रोहित सिंह काव्य
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जाने यह कैसा दो तीन दिंनो में तुजसे ऐसा लगाव सा हो गया हैं,
ना हो जिस दिन बात तुजसे ऐसा लगता है की ये दिन रात अधूरा सा गया,
ना कहाकर तू मुझसे यू दूर रहने के लिए,
चाहती क्या है मै दूर हो जाओ तुजसे हमेशा के लिए ||
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