रोहित सिंह काव्य
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लोग दुनिया के सामने अपनी कमज़ोरी बताके रोते क्यों हैं,
अपनी ही कमजोरियों को हथियार बनाके आगे बढ़ते क्यों नहीं हैं,
यहाँ तो सबकी आदत है की हमारी ताकत को ही लोग हमारी कमजोरी बताने लगे है,
हमारी ही कमजोरियों का सहारा लेके ही लोग यहां झूठी हमदर्दी जताने लगे हैं |
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