रोहित सिंह काव्य
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बचपन की वह बाते और वह यादे याद आती है,
दोस्तों के साथ खेलके जो आती थी चेहरे पर मुस्कान वह मुस्कान याद आती है,
मगर अब जवानी मौका नहीं देती दोस्तों के साथ वक़्त बिताने को,
सब चले ही जा रहे अपने रास्तो पर अपनी-अपनी जिम्मेदारियाँ निभाने को |||
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