रोहित सिंह काव्य
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जो हमसे कभी कोई बात छुपाते नहीं थे,
आज हमसे नजरे चुराने लगे है,
आख़िर उनके दिल में ऐसा राज है क्या जो हमसे छुपाने लगे है,
कभी हमारे उनके बीच कोई राज ना रहता था,
लगता है हम अपना भरोसा उनके सामने गवाने लगे है,
कभी अपना अपना कहा करती थी हमे आज हम उन्हें पराया लगने लगे हैं ||
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