रोहित सिंह काव्य
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अक्सर यही सोचता हु मै,
कभी इधर तो कभी ऊधर पता नही क्या खोज रहा हु मै,
कभी-कभी दिनो मे न चैन है,न रातो मे आखो मे नीद है,
पता नही क्या किसके बारे मे सोच रहा हु मै,
यू तो दिलो मे हजारो ख्वाहिशे है,
लेकिन सिर्फ एक ख्वाहिश के लिए ही जिए जा रहा हु मै,
शायद किसी चिज को पाने कि चाहत है मुझे,
इसलिए ही तो रोज की दुवाओ मे सिर्फ उसे ही मागे जा रहा हु मै।
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