रोहित सिंह काव्य
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जिसको अक्सर बचा के चला करता था मै,
आज किसी अपने ने उस पर सवाल उठा दिए है,
शर्म आ जाये मुझे मेरे गर्व पर उन्होंने ऐसे हालात बना दिए है,
लोग अक्सर तारीफ़ किया करते थे मेरे चरित्र की,
आज उनकी वजह से हम वह भी गवा बैठे है ||
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