रोहित सिंह काव्य
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तू कुछ तो बोल,
यू ख़मोश रहकर दिल ना मेरा तोड़,
तेरी ख़ामोशी कुछ ऐसी लगती हैं,
जैसे मेरी कोई बात तेरे दिल को चुभती है,
ऐसी भी क्या हो गयी है मुझसे खता,
जो यू मुझसे ना बोलकर तू मुझे दे रही है सज़ा,
एक बार तो तू दे मेरी ग़लती बता,
या फ़िर तू देदे मुझे कोई सज़ा,
हसकर क़बूल करूंगा तेरी हर सज़ा,
बस तू एकबार दे मुस्करा ||
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