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आजकल मेरी भी आदत हो गयी है अपने गम छुपाकर मुस्कराने की

रोहित सिंह काव्य
रोहित सिंह काव्य
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यू बारिशों में चल रहा हुँ खुद को भिगोते हुए ,
मेरे आँखों से बह रहे है जो आँसू को छिपाते हुए,
क्योंकि मेरी आदत नहीं किसी को अपने गम बताने की,
क्योंकि आजकल मेरी भी आदत हो गयी है अपने गम छुपाकर मुस्कराने की ||

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