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परिवार

रोहित सिंह काव्य
रोहित सिंह काव्य
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माँ मैं हुँ तुझसे बहुत दूर,
तुजसे मिलने को जी करता है,
याद आ रहीं है तेरी बहुत,
तुजसे लिपट के रोने का जी करता है,
पिताजी की भी आ रही है बहुत याद,
उनसे हर बात कहकर जी हल्का करने को जी करता है,
मेरी प्यारी बहना की भी आ रही है बहुत याद,
आज फिर उससे लड़ने झगड़ने का जी करता है,
आज आप सभी की खल रही है मुझे कमी,
सबको एक साथ गले लगाकर फ़िर से मुस्कराने का जी करता है ||

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