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ख़ुद का विस्वास

रोहित सिंह काव्य
रोहित सिंह काव्य
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खुद का भरोशा खुद पर से न हटने दे,
खुद का साथ खुद से न छुटने दे,
यू कई मुसीबते आएगी जिन्दगी मे,
यू हार मानकर खुद को न टुटने न दे,
यू चलता ही जा अपनी मंजील की ओर,
खुद को अपनी मंजील से भटकने न दे ||

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