रोहित सिंह काव्य
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जी करता है ख़ुद को कभी गले लगा लू,
मुझे किसी और चीज़ की चाहत नहीं ख़ुद को ही अपना बना लू,
ऐ जिन्दगी तूने जो भी दिया है बहुत कुछ दिया है,
तूने जो पल दिए मुझे जीने के लिए मैंने खुलकर और हसकर उसे जिया है ||
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